जैसा कि आप जानते हैं कि अभी 2021 में नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है और चारों तरफ भारत में लोग धूमधाम से नवरात्रि का पर्व मना रहे हैं। नवरात्रि के माहौल में चारों तरफ खुशियां ही खुशियां होती हैं जिसमें हम अपने घरों में या पंडालों में दुर्गा माता के 9 स्वरूप को विराजमान करते हैं।
नवरात्रि के ये 9 दिन बुराई पर अच्छाई के दिन होते हैं और हर दिन का अपना अलग महत्व होता है और उसके पीछे अलग और अनोखी एक कहानी होती है। बहुत सारे लोगों की मान्यता है कि मां दुर्गा ने अपने नौ रूपों को एक साथ प्रकट किया था जिस दिन को नव दुर्गा के रूप में मनाया जाता है।
लेकिन कितने आश्चर्य की बात है कि हम सभी लोग नवदुर्गा यानी नवरात्रि का पर्व मना रहे हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें आज भी इन सभी 9 दिनों के बारे में पता नहीं होता है कि आज नवरात्रि का कौन सा दिन है?
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इसलिए आज हम आपको इस पोस्ट में बताने वाले हैं नवरात्रि के 9 दिनों के बारे में विस्तार से। ताकि आप लोग नवरात्रि के हर एक दिन के पीछे क्या मान्यता है और क्या कहानी है यह सब कुछ विस्तार से जान सके और आप दूसरे लोगों को भी बता सके कि आज दुर्गा माता के नौ रूपों में से कौन सा स्वरूप नवरात्रि के रूप में विराजमान हैं और इसीलिए इसे नवरात्रि कहा गया है।
तो आइए अब जान लेते हैं नवरात्रि के 9 दिनों के बारे में विस्तार से।
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October 2021 में नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है और ऐसे में आपको नवरात्रि के सभी 9 दिनों के बारे में जरूर पता होना चाहिए इसीलिए आज हम आपके लिए विस्तार से बताने वाले हैं नवरात्रि के 9 दिनों का क्या महत्व है और इन नवरात्रि के 9 दिनों में हर दिन कौन सी देवी या माता दुर्गा का कौन सा रूप विराजमान रहता है।
जैसा कि आपको यह तो पता ही है कि माता दुर्गा के नौ रूप होते हैं जिन्हें नव दुर्गा के रूप में जाना जाता है लेकिन भारत में कई लोग आज भी ऐसे हैं जिन्हें अभी भी नवरात्रि के इन सभी 9 दिनों के बारे में पता नहीं है।
तो आइए जान लेते हैं नवरात्रि के 9 दिन कौन-कौन से हैं? इन 9 दिनों में नव दुर्गा के रूप में किन किन देवियों की पूजा की जाती है? इन 9 दिनों में माता को क्या-क्या प्रसाद लगाना चाहिए और कौन-कौन से रंग के वस्त्र पहनने चाहिए? इसके अलावा कौन सी देवी किस ग्रह को नियंत्रित करती हैं यह भी आज आप जानेंगे। इन सभी 9 दिनों के बारे में जानने के बाद आप आसानी से बता सकेंगे कि आज नवरात्रि का कौन सा दिन है?
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री देवी की पूजा की जाती है यानी कि मां दुर्गा का पहला स्वरूप माता शैलपुत्री है और नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री ही नव दुर्गा के रूप में सभी जगह विराजमान रहती हैं।
यह भी जान लें कि नवरात्रि के पहले दिन मां की पूजा करते समय भक्तों को हमेशा लाल, नारंगी या गुलाबी रंग के कपड़े पहनने चाहिए क्योंकि नवरात्रि का पहला दिन ही इन्हीं रंगों को समर्पित है और यह रंग मां शैलपुत्री को समर्पित है। इन रंगों के कपड़े पहन कर पूजा करने से भक्तों को बहुत लाभ मिलता है। इसके साथ ही मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए पाप सफेद कनेर के फूल या फिर लाल गुड़हल के फूल का प्रयोग कर सकते हैं।
मां शैलपुत्री की पूजा में चंद्रमा का काफी महत्व है इनकी पूजा करने से आपकी कुंडली में चंद्रमा से संबंधित जो भी दोष होते हैं वह बहुत ही जल्दी सब दूर हो जाते हैं। मां शैलपुत्री को गाय के घी का भोग लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की पूजा की जाती है। यानी कि नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी नव दुर्गा के रूप में विराजमान रहती हैं। इस दिन आपको मां की पूजा करते समय सफेद क्रीम या पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए आप सेवंती के फूल का प्रयोग कर सकते हैं। और पूजा करने के बाद माता को वट वृक्ष के पत्ते और वटवृक्ष के पुष्पों की माला अर्पित करने से आपके ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
बहुत सारे लोगों की ऐसी मान्यता है कि माता ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं इसीलिए अगर आपकी कुंडली में मंगल ग्रह का कोई दोष है तो मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से आप अपने मंगल ग्रह के सभी दोषों के प्रभाव को दूर कर सकते हैं। अगर आप माता ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको नवरात्रि के दूसरे दिन मां को शक्कर का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय पीला, लाल, सफेद या केसरिया रंग के कपड़े पहनने से आपके धन और ज्ञान में वृद्धि होने लगती है और माता की कृपा हमेशा आप पर बनी रहती है।
मां चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए आप पूजा करते समय कमल के फूल का प्रयोग कर सकते हैं ऐसा करने से आपके सभी बिगड़े हुए काम बन जाते हैं।
आपको बता दें कि माता चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करते हैं और इनकी पूजा करने से आंख पर शुक्र ग्रह का जो अद्भुत प्रभाव है वह खत्म हो जाता है। नवरात्रि के तीसरे दिन नव दुर्गा के रूप में विराजमान मां चंद्रघंटा को दूध का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की आराधना की जाती है और इस दिन नीले और भूरे रंग के वस्त्र पहन कर पूजा करने से पूजा के फल में वृद्धि होती है। मां कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए आप पूजा करते समय चमेली के फूल का उपयोग कर सकते हैं।
आपको बता दें कि मां कुष्मांडा सूर्य को नियंत्रित करती हैं तो अगर आप पर सूर्य ग्रह का कोई बुरा प्रभाव चल रहा है तो नव दुर्गा के इस स्वरूप की यानी माता कुष्मांडा की पूजा करने से आप अपनी कंपनी से सूर्य ग्रह के अशुभ प्रभाव को समाप्त कर सकते हैं। मां कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के चौथे दिन मां को मालपुए का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इस दिन देवी स्कंदमाता की पूजा करते समय आपको पीले या सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए ऐसा करने से आप अपनी सभी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं। देवी स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए आप किसी भी प्रकार के पी ले पुष्प का प्रयोग कर सकते हैं ऐसा करने से मां की कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है।
आपको बता दें नवदुर्गा का यह स्वरूप यानी देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं इसलिए इनकी पूजा करने से बुध ग्रह मजबूत होता है। तो अगर आप नवरात्रि के पांचवें दिन पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहन का पूजा करें तो याद रहे की प्रसाद में पांचवें दिन हमेशा माता को केले का ही भोग लगाएं।
नवरात्रि के छठवें दिन माता कात्यायनी देवी की पूजा आराधना की जाती है। इस दिन पूजा करते समय लाल मेहरून, गुलाबी, गेरुआ हरे रंग के कपड़े पहनने से पूजा का अधिक लाभ प्राप्त होता है और यही रंग इस दिन शुभ माने जाते हैं।
मां कात्यायनी देवी को प्रसन्न करने के लिए आप पूजा अर्चना करते समय गेंदे के फूल का प्रयोग कर सकते हैं। मां कात्यायनी देवी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं इसीलिए नव दुर्गा के इस स्वरुप की पूजा करने से आपकी कुंडली के बृहस्पति ग्रह के सारे दोषों के प्रभाव दूर हो जाते हैं। नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी देवी को शहद का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि देवी को समर्पित है यानी कि इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि देवी की पूजा करते समय आपको नीला, बैगनी, स्लेटी एवं आसमानी रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
मां कालरात्रि देवी को प्रसन्न करने के लिए आप पूजा करते समय कृष्ण कमल के पुष्प का प्रयोग कर सकते हैं या फिर कोई भी नीले रंग का फूल चढ़ा सकते हैं।
आपको बता दें कि मां कालरात्रि देवी शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं और इनकी पूजा करने से शनि देव के प्रभाव से बचा जा सकता है। अगर प्रसाद की बात करें तो नवरात्रि के इस दिन पूजा करने के बाद गुड़ का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित होता है। इस दिन मां महागौरी की पूजा करते समय भक्तों को लाल, गुलाबी या केसरिया रंग के वस्त्र पहनने से विशेष तौर पर पूजा के लाभ में वृद्धि होती है। मां महागौरी को परेशान करने के लिए नवरात्रि के आठवें दिन आपको पूजा में माता को मोगरा के फूल को अर्पण करना चाहिए।
आपको बता दें कि माता महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं तो इनकी पूजा करने से विशेष तौर पर आप पर राहु का जितना भी दोष चल रहा है आप उससे छुटकारा पा सकते हैं। नवरात्रि के आठवें दिन नव दुर्गा के रूप में विराजमान माता महागौरी को नारियल का भोग लगाने से नव दुर्गा की कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है।
नवरात्रि का आखिरी दिन यानी कि नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है यानी कि इस दिन मां सिद्धिदात्री देवी की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन मां सिद्धिदात्री देवी की पूजा करते समय आप हरे, बैंगनी या जामुनी रंग के कपड़े पहन सकते हैं।
सबसे आखरी दिन नवदुर्गा के रूप में विराजमान मां सिद्धीदात्री देवी को चंपा या गुड़हल के फूल को अर्पित करना चाहिए। मां सिद्धिदात्री देवी केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं और इनकी पूजा करने से केतु ग्रह शांत होता है।नवरात्रि के नौवें दिन जब आप पूजा करें तो प्रसाद में हलवा, पूरी, चना, खीर या फिर तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं।
आखिरी शब्द
दोस्तों आज इस पोस्ट में मैंने आपको नवरात्रि के नौ दिनों के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश की है। मैं आशा करता हूं कि आपको नव दुर्गा के नौ दिनों के बारे में सब कुछ पता चल गया होगा। अब आप आसानी से बता पाएंगे कि आज नवरात्रि का कौन सा दिन है?
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